सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

वेब सीरीज की 'गन्दगी', 'उड़ता' समाज

कोरोना काल में सिनेमा घर बंद हैं। सिनेमा घर की जगह अब ओटीटी प्लेटफॉर्म ने ली हैं। जहां वेब सीरीज की भरमार है। कई फिल्मों भी ओटीटी पर रिलीज हुई हैं। लेकिन कंटेंट पर कोई रोक टोक नहीं हैं। जिसका फायदा ओटीटी प्लेटफॉर्म जमकर उठा रहे हैं। वेब सीरीज के नाम पर गंदी कहानियां परोसी जा रही हैं। जो समाज को किसी और छोर पर धकेल रही हैं। 


हाल ही में ट्राई यानी टेलीफोन रेगुलेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कहा हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म जो परोस रहे हैं, उसे परोसने दो। सरकार इसमें ताक झांक ना करें। 

मतलब साफ है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट पर कोई सेंसरशिप नहीं हैं और ट्राई फ़िलहाल इस पर लगाम कसने के मूड में नहीं हैं। कोरोना काल से पहले भी वेब सीरिज काफी लोकप्रिय थी। लॉकडाउन के दौर में और ज्यादा दर्शक ओटीटी प्लेटफॉर्म की तरफ आकर्षित हो गए।

ओटीटी प्लेटफॉर्म का बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहा है। अब तो फिल्में भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज हो रही हैं। हाल ही रिलीज हुई आश्रम समेत कई फ़िल्मों को दर्शकों ने खूब पसंद किया। 

लेकिन कोई रोक टोक नहीं होने से ओटीटी पर आने वाली वेब सीरीज और फिल्मों का कंटेंट सवालों के घेरे में रहता हैं। अल्ट बालाजी पर रिलीज वेब सीरिज गंदी बात का ही कंटेंट देख लीजिए। जिसमे सेक्स और हवस के अलावा कुछ नहीं हैं। कोई भी वेब सीरिज ले लो, उसमे हवस और सेक्स दोनों जरूर होगा। ऐसा लगता है कि बिना सेक्स के वेब सीरिज अधूरी ही रह जाएगी !  

किसी तरह की बंदिश ना होने से ओटीटी प्लेटफॉर्म खूब गंद मचा रहे हैं। खुलकर आजादी का फायदा उठा रहे हैं। जितना संभव हो सकता हैं, उतना सेक्स वाला कंटेंट परोसा जा रहा है। चरम सीमा के उस बिंदु पर पहुंच गए हैं, अगर इससे आगे बढ़े तो पोर्न और वेब सीरिज में कोई फर्क नहीं रह जाएगा।

वेब सीरिज मतलब भरपूर मसाला, जो पोर्न से निचले दर्जे का हैं। लोग भी लगे हाथ खूब ओटीटी प्लेटफॉर्म के सहारे रातें रंगीन कर रहे हैं। वेब सीरिज देख ऐसा लगता है, दुनिया में अगर कुछ हैं तो सिर्फ गर्लफ्रेड-ब्वॉयफ्रैंड और सेक्स। और कुछ नहीं !

वैसे भी फिल्मों से समाज पर बुरा असर पड़ा है। कई सारी विवादित फिल्मों के दृश्य भारतीय सेंसर बोर्ड ने काटे। लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर ना कोई बोर्ड बना हुआ है, ना ही कोई नियम। अब ओटीटी प्लेटफॉर्म को सेंसरशिप के दायरे में लाने के लिए पुरजोर मांग उठ रही हैं। लेकिन सरकार हाल फ़िलहाल कोई एक्शन लेने को तैयार नहीं दिख रही हैं। 

दूसरी तरफ ट्राई ने साफ तौर पर सरकार को कह दिया हैं कि  फ़िलहाल ओटीटी प्लेटफॉर्म को सेंसरशिप/रेगुलेशन में लाने की जरूरत नहीं है। आगे आने वाली संभावना को देखते हुए भविष्य में फैसला लिया जाएगा।

हालांकि आपको बता दे कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के अपने खुद के रेगुलेशन हैं। जिसके तहत खरा उतरने पर ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को पब्लिश किया जाता है। लेकिन जिस तरह के कंटेंट देखने को मिल रहे हैं, उसको देखकर लगता है खुद के रेगुलेशन सिर्फ नाम मात्र के ही हैं।

ओटीटी प्लेटफॉर्म की अब बाढ़ आने वाली हैं। पहले भारत में सिर्फ विदेश कंपनियों के ही ओटीटी प्लेटफॉर्म थे। अब अमेज़न प्राइम विडियोज और नेटफ्लिक्स के आने के बाद देशी ओटीटी प्लेटफॉर्म भी उभर रहे हैं। हाल ही में लॉन्च हुआ ओटीटी प्लेटफॉर्म 'शेमारूमी बॉक्सऑफिस' ताजा उदाहरण हैं। विदेशी प्लेटफॉर्म के आने से देशी प्लेटफॉर्म भी एक्टिव मोड में आ गए हैं। जिसमें मैक्स प्लयेर, एल्ट बालाजी खास हैं।

साफ है कि दर्शक भी तेज़ी से ओटीटी पर शिफ्ट हो रहे हैं। आने वाले भविष्य ओटीटी प्लेटफॉर्म का हैं। एक दिन तो रेगुलेशन/नियम कायदे/बोर्ड बनाना ही पड़ेगा। भले ही ट्राई को अभी लगता है कि इसकी अभी जरूरत नहीं हैं।

अभी भी ओटीटी के दर्शकों का आंकड़ा कम नहीं हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हर साल करीब 6 गुना तेज़ी से ओटीटी पर दर्शक बढ़ रहे हैं। 

चिंता इस बात की हैं कि कोई लगाम नहीं होने से प्रोड्यूसर के जो मन में आया, वही परोसा जा रहा है। वेब सीरिज के नाम सेक्स, खून खराबा, समाज पर असर डाल रहा है। ज्यादातर वेब सीरिज ऐसी हैं, जिन्हें आप सिर्फ अकेले ही देख सकते हैं। सेक्स और हवस की भावनाओं से भरे दृश्य दर्शकों पर नकारात्मक असर डालते हैं।

यह दर्शक कोई भी ही सकता है। एक 5 साल का मासूम भी, 14 साल किशोर और नौजवान भी। क्योंकि एमएक्स प्लयेर जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म की सुविधा के लिए सिर्फ एमएक्स प्लयेर ऐप डाउनलोड करना होता है। उसमे जो चाहो कंटेंट देख सकते हो। वो भी मुफ्त में। यह उदाहरण सिर्फ एमएक्स प्लयेर का नहीं है। बाकी प्लेटफॉर्म का भी यही हाल है।

क्या है ओटीटी प्लेटफॉर्म

ओटीटी यानी ओवर द टॉप। एक ऐसा एप्लिकेशन/वेबसाइट, जिस पर सारे लाइव टीवी समेत तमाम मूवीज और विडियोज, गाने देख सकते हो। वो भी जब चाहा तब। टीवी की तरह कोई समय का झंझट नहीं। हालांकि नेटफ्लिक्स और अमेज़न जैसे कई ओटीटी प्लेटफॉर्म फ्री नहीं हैं। इन पर टीवी पैक की तरह सदस्यता प्लान शुल्क देकर लेना होता है। इसके लिए इंटरनेट कनेक्शन और डिवाइस (स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर और स्मार्ट टीवी) का होना आवश्यक हैं।


ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत विदेशों से हुई हैं। इसका प्रचलन भारत में अब तेज़ी से बढ़ रहा है। अमेजन प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स के आने के बाद भारत में कई देशी प्लेटफॉर्म सामने आए हैं। जिसमे एमएक्स प्लयेर, जी5, शेमारुमी बॉक्स ऑफिस और ऑल्ट बालाजी प्रमुख हैं। 

फ़िलहाल ओटीटी प्लेटफॉर्म तेज़ी से बढ़ रहे हैं। टीवी और सिनेमा घर के लिए चुनौती बन रहे हैं। टीवी के लिए नया करने का मौका हैं। खैर, चिंता ओटीटी प्लेटफॉर्म पर परोसे जा रहे कंटेंट की हैं। उम्मीद करते हैं भारत सरकार जल्द सेंसरशिप के लिए नियम लाए और युवा पीढ़ी को गलत दिशा में धकेलने से रोक सके। फ़िल्मों की तरह स्वस्थ कंटेंट ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मिल सके।

✍️ अणदाराम बिश्नोई

( कृपया इस लेख को फेसबुक और वॉट्सएप के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर कीजिए। शेयर करने के लिए इस लिंक को कॉपी कीजिए और लोगों को भेजिए। कॉपी करने के लिए लिंक : )https://www.delhitv.in/2020/09/Web-series-OTT-platform-India-effect.html?m=1

सोशल मीडिया से जुड़े:
• Instagram : https://www.instagram.com/andaram_bishnoi

• Twitter : https://www.twitter.com/andaram_bishnoi

• Facebook : https://www.facebook.com/AndaramBishnoiOffical/


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राजनीति में पिसता हिंदू !

कांग्रेस की जयपुर रैली महंगाई पर थी, लेकिन राहुल गांधी ने बात हिंदू धर्म की. क्यों ? सब जानते है कि महंगाई इस वक्त ज्वलंत मुद्दा है. हर कोई परेशान है. इसलिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रव्यापी रैली के लिए राजस्थान को चुना. लेकिन बात जो होनी थी, वो हुई नहीं. जो नहीं होनी चाहिए थी, वो हुई. साफ है कि हिंदुस्तान की राजनीति में धर्म का चोली-दामन की तरह साथ नजर आ रहा है. भारतीय जनता पार्टी मुखर होकर हिंदू धर्म की बात करती है. अपने एजेंडे में हमेशा हिंदुत्व को रखती है. वहीं 12 दिसंबर को जयपुर में हुई कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली में राहुल के भाषण की शुरुआत ही हिंदुत्व से होती है. राहुल गांधी ने कहा कि गांधी हिंदू थे, गोडसे हिंदुत्ववादी थे. साथ ही खुलकर स्वीकर किय़ा वो हिंदू है लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं है. यानी कांग्रेस की इस रैली ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. बहस है- हिंदू बनाम हिंदुत्ववादी. इस रैली का मकसद, महंगाई से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना था. महंगाई हटाने को लेकर अलख जगाने का था. लेकिन राहुल गांधी के भाषण का केंद्र बिंदु हिंदू ही रह...

डिग्री के दिन लदे, अब तो स्किल्स दिखाओं और जॉब पाओ

  भारत में बेरोजगारी के सबसे बड़े कारणों में प्रमुख कारण कार्य क्षेत्र के मुताबिक युवाओं में स्किल्स का भी नहीं होना है। साफ है कि कौशल को बढ़ाने के लिए खुद युवाओं को आगे आना होगा। क्योंकि इसका कोई टॉनिक नहीं है, जिसकी खुराक लेने पर कार्य कुशलता बढ़ जाए। स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद युवाओं को लगता है कि कॉलेज के बाद सीधे हाथ में जॉब होगी। ऐसे भ्रम में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा हर दूसरा स्टूडेंट रहता है। आंखें तब खुलती है, जब कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद बेरोजगारों की भीड़ में वो स्वत :  शामिल हो जाते है। क्योंकि बिना स्किल्स के कॉर्पोरेट जगत में कोई इंटरव्यू तक के लिए नहीं बुलाता है, जॉब ऑफर करना तो बहुत दूर की बात है। इंडियन एजुकेशन सिस्टम की सबसे बड़ी कमी- सिर्फ पुरानी प्रणाली से खिसा-पीटा पढ़ाया जाता है। प्रेक्टिकल पर फोकस बिल्कुल भी नहीं या फिर ना के बराबर होता है। और जिस तरीके से अभ्यास कराया जाता है, उसमें स्टूडेंट्स की दिलचस्पी भी उतनी नहीं होती। नतीजन, कोर्स का अध्ययन के मायनें सिर्फ कागजी डिग्री लेने के तक ही सीमित रह जाते है।   बेरोजगारों की भी...

गरीब युवाओं से आह्वान: बड़ा करना है तो शिक्षा बड़ा हथियार

भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है, महात्मा गांधी के इस कथन का महत्व तब बढ़ जाता है. जब गांवों से टैलेंट बाहर निकलकर शहर के युवाओं को पछाड़ते हुए नए मुकाम हासिल करते है. ऐसी कहानियां उन लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन जाती, जो पैदा तो भले ही गरीबी में हुए हो. लेकिन हौसलों से आसमान छूना चाहते है. यब बातें सुनने जितनी अच्छी लगती है, करके दिखाने में उतनी ही कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है. सपनों को हकीकत में बदलने के लिए जुनून, धैर्य और लगन जरूरी है.   (P. C. - Shutterstock)  सोचिए एक गरीब परिवार में जन्मे युवा किन-किन कठिनाइयों से गुजरता होगा. गरीबी में पैदा होना किसी की गलती नहीं है. गरीबी में पैदा हुए युवाओं को शिक्षा से वंचित नहीं होना चाहिए. शिक्षा ही वो सबसे बड़ा हथियार है. जिससे गरीबी रेखा को लांघकर समाज कल्याण का काम कर सकते है. परिवार को ऊपर उठा सकते है. दुनिया के सबसे बड़े अमीरों में शुमार बिल गेट्स का यह वक्तव्य किसी प्रेरणा से कम नहीं है. बिल गेट्स कहते है कि  '' अगर गरीब पैदा हुए तो आपकी गलती नहीं, लेकिन गरीब मरते हो तो आपकी गलती है'' भारत में करीब 32 ...