भारत और चीन के बीच तनातनी जारी है। इसी बीच पीएम मोदी का लद्दाख के लेह
पहुंचने से हर कोई चौंक गया। पीएम ने छाती ठोक कर कहा कि गलवान घाटी हमारी
हैं। दुश्मनों के इरादों को नेस्तनाबूद किया। सेना के जवानों के पराक्रम पर
पूरे देश को नाज़ हैं।
लद्दाख के लेह में जवानों के बीच पीएम मोदी |
पीएम मोदी के यह शब्द वाकई में सेना के जवानों के लिए किसी एनर्जी बूस्टर से कम
नहीं हैं। पीएम मोदी के लेह जाने से चीन को सख्त संदेश गया है। चीन के आका
जिनपिंग बाबू को किसी तरह की गलत फहमी नहीं पाले। पीएम मोदी के लेह से जवानों को
संबोधन में साफ जाहिर हो गया।
यह सच हैं कि चीन, भारत से कई गुना सैन्य तौर पर शक्तिशाली है। चीन के पास आधुनिक
तकनीक से लैस ढेरों हथियार और युद्ध का साजों सामान हैं। लेकिन भारत भी अब
1962 वाला नहीं रहा है। परिस्थितियां समेत कई चीजें बदली हैं। तभी तो भारत ने
बिना किसी देर किए चीन पर डिजिटल स्ट्राइक की और एक झटके में 59 चीनी ऐप को बैन
कर दिया।
दूसरा पहलू यह भी है कि गालवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प में भारत के 20
जवानों को शहीद होना पड़ा। वही चीन के करीब 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए। भले ही
भारत को नुकसान कम हुआ हो, सैनिकों की शहादत पर देशवासियों ...
का खूब खून उबला।
चीनी सामानों बहिष्कार करने मांगे तेज हुई। चीन के खिलाफ देशभर में गुस्सा देखा
जा रहा है। इसी को देखते भारत सरकार ने कई चीनी कंपनियों के साथ करार खत्म कर
दिया। चीनी ऐप बैन कर दिए।
सियासत भी खूब हुई। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई दिग्गजों ने सरकार की नीयत
पर सवाल खड़े कर दिए। राहुल बार बार यही पूछते दिखे कि आखिर वर्तमान में LAC पर
हालात क्या है ? क्या चीन ने अभी भी कब्जा कर रखा है? सत्ताधारी बीजेपी के
प्रवक्ताओं ने यह जवाब देकर पल्ला झाड़ लिया कि कांग्रेस को सेना पर भरोसा नहीं
है। इसलिए ऐसे सवाल पूछ रही हैं।
लेकिन यह सवाल अभी भी हर भारतीय के जहन में बना हुआ है। देश में माहौल की गर्माहट
को देखते हुए पीएम मोदी की ओर से स्थिति स्पष्ट करना जरूरी था। इसी का
नतीजा लेह दौरा हैं। यानी देशवासियों को भी लगे की मोदी अभी सोए हुए नहीं
हैं। दूसरी और चालबाज चीन को साफ संदेश जाए कि भारत किसी भी हाल में नरम नहीं है।
यानी चीन को कड़ा संदेश लेह दौरे से गया है।
वही देशवासियों में उत्साह का संचार हुआ है। जवानों को संबल मिला है, क्योंकि
पीएम मोदी खुद गलवान घाटी में घायल हुए जवानों से मिले, उनकी कुशलक्षेम
जानी।
- अणदाराम बिश्नोई
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