ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए |
याद कीजिए वो दिन, जब तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्विटर पर बायो को बदला था। तब मध्यप्रदेश की सिसासत में हलचल ला दी थी। ... और 10 मार्च का दिन, जिसने मध्यप्रदेश की सरकार को बदलने के वक्त की दहलीज पर ला दिया। 11 मार्च 2020 को सिंधिया द्वारा बीजेपी में शामिल होने से मध्यप्रदेश की सियासत का रायता, भोपाल से वाया जयपुर होते हुये दिल्ली तक फैल गया
जहन में बड़ा सवाल है कि, आखिर सिंधिया ने कांग्रेस क्यों छोड़ी। हालांकि सिंधिया ने पत्रकार वार्ता में कमलनाथ सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। सिंधिया ने कहा कि अब कांग्रेस में रहकर देशसेवा करना संभव नहीं है। प्रदेश सरकार जिन विजनों के साथ आई थी, उस पर चल नहीं पा रही हैं।
दूसरी तरफ बीजेपी में शामिल होने पर सिंधिया को बीजेपी का राज्यसभा प्रत्याशी बनाया गया है। सूत्रों से खबर आ रही हैं कि केंद्रीय मंत्री पद देने की शर्त पर कांग्रेस छोड़ी है।
'अच्छा होता, पहले चले जाते'
राजस्थान सीएम और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने सिंधिया का बीजेपी शामिल होने को अवसरवादी बता दिया। सीएम गहलोत ने कहा कि अच्छा होता, सरकार बनाने से पहले ही सिंधिया बीजेपी में चले जाते।वहीं गहलोत ने लोकतंत्र की हत्या की बात कही है। गहलोत ने मोदी सरकार की फौज को निशाने पर लेते हुए कहा कि पूरा मुल्क देख रहा है, किस तरह से बीजेपी लोकतंत्र की हत्या कर रही हैं।
बीजेपी को दो फायदे
सिंधिया समर्थक 22 विधायकों के इस्तीफा देने से बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा हो जाता है, अगर वो बीजेपी में शामिल होते हैं। जाहिर सी बात है, ये विधायक बीजेपी में शामिल होंगे। क्योंकि सिंधिया समर्थक हैं। ऐसे में बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिल रहा है।दूसरा, मध्यप्रदेश से राज्य सभा की भी सीट बीजेपी के झोले में जाती दिख रही है।
हाशिए के शिकार हो रहे थे सिंधिया !
भले ही सिंधिया कांग्रेस में करीब 20 सालों से युवा शक्ति के तौर पर काम कर रहे थे। लेकिन सिंधिया को कांग्रेस में तवज्जों कम मिलनी की बात सामने आने लगी। कमलनाथ और सिंधिया के बीच सरकार में रहते कई बार अनबन सार्वजनिक रूप से भी देखने को मिली। सिंधिया ने अपनी ही सरकार पर कई दफा निशाने साधे।सिंधिया ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि कांग्रेस में रहकर देश सेवा संभव नहीं हैं। अब कांग्रेस में माहौल अलग हैं। कहा जा सकता है, एक तरह से सिंधिया कांग्रेस में धीरे धीरे हाशिए पर धकेले जा रहे थे।
मध्यप्रदेश के कई राजनीतक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि सिंधिया का गुना से हार जाना भी एक फैक्टर हैं। जिसके चलते उनका अपने ही क्षेत्र में प्रभाव कम होता जा रहा था। सिंधिया का चंबल, गुना क्षेत्र में एक अच्छा प्रभाव माना जाता हैं। लेकिन जिस तरह का प्रभाव माना जा रहा था, वैसा अब नहीं रहा।
तो सिंधिया ने लिया, सही वक्त पर सही फैसला ?
कहा जाता है इंसान को सही वक्त पर, सही दिशा में, सही फैसला लेना चाहिए; अगर कामयाब होना है तो। यह वक्तव्य कहीं ना कहीं सिंधिया के फैसले पर सटीक बैठता नजर आ रहा है। अगर राजनीतिक पंडितों की राय का औसत माने तो।- अणदाराम बिश्नोई
(नई पोस्ट की सूचना के लिए Telegram पर Delhi TV सर्च कीजिए और जुड़िए)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Thanks to Visit Us & Comment. We alwayas care your suggations. Do't forget Subscribe Us.
Thanks
- Andaram Bishnoi, Founder, Delhi TV