सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

"21 दिन अगर गंभीरता से नहीं लिए, तो भारत 21 साल पीछे चला जाएगा"

21 दिन यानी 14 अप्रैल तक पूरा भारत लॉकडॉउन हैं। पीएम मोदी ने 24 मार्च की रात 8 बजे टीवी पर देशवासियों  को संबोधित किया। पीएम ने कहा, आज रात 12 बजे से पूरे देश में lockdown है। lockdown को कर्फ्यू की तरह लेना हैं।


Corona,
पीएम मोदी ने कहा कि Corona महामारी की रूप ले चुका है। इसे हराने के लिए lockdown को गंभीरता से लेना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया तो फिर देश में हालात काबू से बाहर हो जाएंगे। देश 21 साल पीछे चला जाएगा।
Lockdown को लेकर घबराना नहीं है। बस एक ही काम करना हैं। सिर्फ घर में रहना है। जरूरी सेवाएं चालू रहेगी। 
क्या बंद रहेगा और क्या चालू रहेगा। एक बार नजर डाल लेते हैं।


ये सेवाएं बंद रहेंगी 
किसी भी सार्वजनिक परिवहन सेवा को अनुमति नहीं होगी। इसमें निजी बसें, टैक्सी, ऑटो रिक्शा, रिक्शा, ई-रिक्शा सब बंद रहेंगे।
दिल्ली में डीटीसी की 25 प्रतिशत बसें चलेंगी।

सभी दुकानें, बाजार, व्यापारिक प्रतिष्ठान, फैक्ट्री, वर्कशॉप, ऑफिस, गोदाम, साप्ताहिक बाजार ये सब बंद रहेंगे।

इंटरस्टेट बसें, ट्रेन और मेट्रो सेवाएं निलंबित रहेंगी। सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द रहेंगी।

किसी तरह का निर्माण कार्य फिलहाल बंद रहेगा। सभी तरह के धार्मिक स्थान बंद रहेंगे।

ये सुविधाएं रहेंगी चालू 
दूध, सब्जी और दवा की दुकानें लॉकडाउन के दौरान खुले रहेंगे।

अस्पताल और क्लीनिक भी इस दौरान खुले रहेंगे।

इसके अलावा राशन की दुकानें भी खुली रहेंगी।

किसी बेहद जरूरी काम के लिए भी प्रशासन की ओर से छूट मिल सकती है।

बैंकों के कैश से जुड़ी सुविधाएं जारी रहेंगी। टेलिकॉम, इंटरनेट और डाक सेवा जारी रहेंगी।

सरकार ने पेट्रोल पंपों और एटीएम को आवश्यक श्रेणी में रखा है, इसलिए जरूरत के हिसाब से इन्हें खोला जा सकता है।

किन्हें मिलेगी छूट
पुलिस का काम जारी रहेगा। साथ ही कानून-व्यवस्था को लागू कराने वाले विभाग भी काम करेंगे।

स्वास्थ्यकर्मियों और अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों का काम भी जारी रहेगा।

जेल विभाग और बिजली व पानी के दफ्तरों में भी काम जारी रहेगा।

नगर निगम के साफ सफाई या कूड़ा उठाने जैसे काम भी चलते रहेंगे। इसके अलावा जेल विभाग के काम भी चलते रहेंगे।

मीडियाकर्मियों को भी इस दौरान आने जाने की छूट होगी।

क्या निजी वाहन चला सकेंगे 
अगर बहुत जरूरी हो तो लॉकडाउन में भी निजी वाहनों का प्रयोग किया जा सकता है।

हालांकि बिना वजह बाहर घूमने पर पुलिस कार्रवाई कर सकती है।

आपात व्यवस्था में एंबुलेंस को भी बुला सकते हैं।

बिना मतलब घूमने पर पाबंदी
लॉकडाउन का फैसला इसलिए लिया गया है ताकि लोग एक-दूसरे के संपर्क में न आएं।

इसलिए जरूरी नहीं होने पर घर से बाहर न निकलें।

क्या शादी-विवाह के कार्यक्रम होंगे 
संक्रमण फैलने के डर से किसी भी कार्यक्रम के लिए लोगों के जुटने पर पाबंदी रहेगी।

बहुत जरूरी होने पर आपको प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।

क्या निजी कर्मचारियों को काम पर जाना होगा

लॉकडाउन में सरकारी हो या निजी कंपनी सभी बंद रहेंगी। सिर्फ जरूरी विभाग के कार्यालय खुले रहेंगे।

नई पोस्ट की सूचना के लिए Telegram पर Delhi TV सर्च कीजिए और it

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राजनीति में पिसता हिंदू !

कांग्रेस की जयपुर रैली महंगाई पर थी, लेकिन राहुल गांधी ने बात हिंदू धर्म की. क्यों ? सब जानते है कि महंगाई इस वक्त ज्वलंत मुद्दा है. हर कोई परेशान है. इसलिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रव्यापी रैली के लिए राजस्थान को चुना. लेकिन बात जो होनी थी, वो हुई नहीं. जो नहीं होनी चाहिए थी, वो हुई. साफ है कि हिंदुस्तान की राजनीति में धर्म का चोली-दामन की तरह साथ नजर आ रहा है. भारतीय जनता पार्टी मुखर होकर हिंदू धर्म की बात करती है. अपने एजेंडे में हमेशा हिंदुत्व को रखती है. वहीं 12 दिसंबर को जयपुर में हुई कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली में राहुल के भाषण की शुरुआत ही हिंदुत्व से होती है. राहुल गांधी ने कहा कि गांधी हिंदू थे, गोडसे हिंदुत्ववादी थे. साथ ही खुलकर स्वीकर किय़ा वो हिंदू है लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं है. यानी कांग्रेस की इस रैली ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. बहस है- हिंदू बनाम हिंदुत्ववादी. इस रैली का मकसद, महंगाई से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना था. महंगाई हटाने को लेकर अलख जगाने का था. लेकिन राहुल गांधी के भाषण का केंद्र बिंदु हिंदू ही रह...

डिग्री के दिन लदे, अब तो स्किल्स दिखाओं और जॉब पाओ

  भारत में बेरोजगारी के सबसे बड़े कारणों में प्रमुख कारण कार्य क्षेत्र के मुताबिक युवाओं में स्किल्स का भी नहीं होना है। साफ है कि कौशल को बढ़ाने के लिए खुद युवाओं को आगे आना होगा। क्योंकि इसका कोई टॉनिक नहीं है, जिसकी खुराक लेने पर कार्य कुशलता बढ़ जाए। स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद युवाओं को लगता है कि कॉलेज के बाद सीधे हाथ में जॉब होगी। ऐसे भ्रम में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा हर दूसरा स्टूडेंट रहता है। आंखें तब खुलती है, जब कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद बेरोजगारों की भीड़ में वो स्वत :  शामिल हो जाते है। क्योंकि बिना स्किल्स के कॉर्पोरेट जगत में कोई इंटरव्यू तक के लिए नहीं बुलाता है, जॉब ऑफर करना तो बहुत दूर की बात है। इंडियन एजुकेशन सिस्टम की सबसे बड़ी कमी- सिर्फ पुरानी प्रणाली से खिसा-पीटा पढ़ाया जाता है। प्रेक्टिकल पर फोकस बिल्कुल भी नहीं या फिर ना के बराबर होता है। और जिस तरीके से अभ्यास कराया जाता है, उसमें स्टूडेंट्स की दिलचस्पी भी उतनी नहीं होती। नतीजन, कोर्स का अध्ययन के मायनें सिर्फ कागजी डिग्री लेने के तक ही सीमित रह जाते है।   बेरोजगारों की भी...

आधुनिकता की दौड़ में पीछे छूटते संस्कार

किसी भी देश के लिए मानव संसाधन सबसे अमूल्य हैं। लोगों से समाज बना हैं, और समाज से देश। लोगों की गतिविधियों का असर समाज और देश के विकास पर पड़ता हैं। इसलिए मानव के शरीरिक, मानसिक क्षमताओं के साथ ही संस्कारों का होना अहम हैं। संस्कारों से मानव अप्रत्यक्ष तौर पर अनुशासन के साथ कर्तव्य और नैतिकता को भी सीखता हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह हैं कि स्कूल और कॉलेजों में ये चीजें पाठ्यक्रम के रूप में शामिल ही नहीं हैं। ऊपर से भाग दौड़ भरी जिंदगी में अभिभावकों के पास भी इतना समय नहीं हैं कि वो बच्चों के साथ वक्त बिता सके। नतीजन, बच्चों में संस्कार की जगह, कई और जानकारियां ले रही हैं। नैतिक मूल्यों को जान ही नहीं पा रहे हैं।  संसार आधुनिकता की दौड़ में फिर से आदिमानव युग की तरफ बढ़ रहा हैं। क्योंकि आदिमानव भी सिर्फ भोगी थे। आज का समाज भी भोगवाद की तरफ अग्रसर हो रहा हैं। पिछले दस सालों की स्थिति का वर्तमान से तुलना करे तो सामाजिक बदलाव साफ तौर पर नज़र आयेगा। बदलाव कोई बुरी बात नहीं हैं। बदलाव के साथ संस्कारों का पीछे छुटना घातक हैं।  राजस्थान के एक जिले से आई खबर इसी घातकता को बताती हैं। आधुनि...