यह भारत देश हैं. जहां दानव भी मानव के रूप में रहते हैं. हां ! सोच क्या रहे हो. बिल्कुल सही पढ़ा हैं आपने. लेकिन डरिए मत. और अगर आप भी भारतीय हैं तो सिर को शर्म से मत झुकाइएं. बस इस लेख को पढ़ते जाइएं... क्योंकि हैवानियत की इतनी हदें पार हो चुकी है इस देश में... कि शर्म खुद सिर झुका रही हैं. उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में आपसी रंजिस में मासूम के साथ दुष्कर्म-हत्या का मामला, इस देश का सिर्फ इकलौता और पहला नहीं हैं. इस से पहले भी कई मामले सामने आए. लेकिन हुआ क्या ? बस वहीं तुच्छ राजनीति और लीपापोती. सवाल यह नहीं हैं कि दोषियों को सबक मिला या नहीं ? सवाल है, दोषियों की सजा से क्या सबक मिला उन्हे. जो दानव बाहर मानव का मुखौटा लिए घूम रहे हैं. और एक नये अपराधी के रूप में सामने आते हैं.
यह तभी संभव होगा, जब सजा भी दानवों जैसी हो. और क्या
? यह कहावत आपने जरूर सुनी होगी कि
लोहा, लोहा को काटता हैं. यह कहावत यहां पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं. 10 हजार की
रकम मासूम ट्विंकल के पिता नहीं चुका पाए, तो उसमें मासूम का क्या दोष ?
370 मे से 13 वर्षों में सिर्फ 4 को फांसी
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स के अनुसार पिछले दस सालों में
बच्चों के प्रति 500 फीसदी अपराध बढ़ा हैं. जो कि भारत जैसे देश के लिए बहुत ही
दुर्भाग्यपूर्ण हैं. बच्चो की सुरक्षा माता-पिता के लिए एक चुनौति बन गई हैं. इन
कलयुगी दानवों से बेटियों को हर हालत में बचाना होगा. लेकिन रूह कंपा देने वाला
सवाल, आखिर बचेगी कैसे ?
क्योंकि पिछले 13 सालों में 370 से अधिक अपराधी जेल में हैं. उन में से सिर्फ चार
को ही फांसी की सजा हुई. इसे कानून का अंधापन कहना गलत
नहीं होगा. क्योंकि जेल में बंद दानवों को पहचान नहीं पा रहा हैं. उन्हे मानव
समझकर मानवाधिकारों का हवाला देकर फांसी की सजा होने से बचाया जाता हैं. जैसे कि
13 सालों के आंकड़े साफ दिखा रहे हैं कि सिर्फ 370 प्लस अपराधियों में से सिर्फ
चार को सजा. यह कहां जायज हैं, दानवों को छोड़ना.
अलवर के थानागाजी मामले में किस तरीके दरिंदगी की गई.
उसे यहां लिखना भी संभव नहीं हैं. आखिर समझ में नहीं आता इस तरह के दरिंदे को समाज
अपने साथ रखता कैसा हैं.
अब भारत के कानून से यही मांग की – हे कानून ! तू कब तक अंधे बना रहोंगे. क्या
तुम्हे बेटियों की फक्र नहीं ? बस
इन दोषियों को ऐसी फांसी दो कि इस धरती के बाकि के दानवों की भी रूह कांप जाए. या
तो यह दानव वापस मानव रूप धारण कर लेगें. या फिर इनकों परलोक का द्वार मिल जाएगा.
अगर आप भी माता-पिता हैं तो आपको जरूर सोचना चाहिए और
आवाज भी उठानी चाहिए बेटियों की सुरक्षा की. क्योकि अब दानव के रूप में मानव कहीं
भी मिल जाएगें. इनसे बचना एक चुनौति हैं.
- अणदाराम बिश्नोई
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