सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्लीपर यान में नहीं था चार्जर पॉइन्ट, ट्वीटर पर की शिकायत पर रेल मंत्रालय ने लिया संज्ञान । आप भी सीखे कुछ !

ट्वीटर पर रेल मंत्रालय को शिकायत लिखी थी कि मै जिस स्लीपर यान में यात्रा कर रहा हुँ। वहां पर कहीं भी चार्जर पॉईट/सॉकेट नहीं हैं। जिस के कारण यात्रीयो को अपने मोबाईल चार्ज करने में परेशानी आ रही हैं। खासकर लंबी दुरी के यात्रीयों को। किसी को E/SMS टिकट दिखाने में समस्या आ सकती है , अगर एन वक्त मोबाइल की बैंट्री धोखा दे तो। इस पर रेल मंत्रालय ने तुरन्त संज्ञान लिया और संबंधित कार्यकारी अधिकारियो इस समस्या को ठीक करने का निर्देश दिया। दोस्तो ! मेरा इस पोस्ट के लिखने का  उद्देश्य सिर्फ आपको यह बताना कि कही भी कुछ गलत हो रहा है या कोई समस्या हैं और जिसकी जिम्मेदार सरकार हैं। तो हमें उसे नज़रअन्दांज नहीं करना चाहिए लेकिन अकसर लोग ऐसा करते हैं जब उसका खुद से कोई लेदा-देना ना हो । जो समाज व देश हित के लिये ठीक नहीं हैं। आज ट्वीटर एक ऐसा माध्यम हैं जहां पर हम अपनी बात को सीधा सरकार तक पहुंचा सकते हैं। इसलिए छोटा-छोटी बातो को नज़रअन्दांज न कर पहल कीजिए। - अणदाराम बिश्नोई  ↔↔↔↔↔↔ 🆓 आप अपना ई- मेल डालकर हमे free. में subscribe कर ले।ताकी आपके नई पोस्ट की सुचना मिल सके सबसे पहल

कहां बसता है केवल करोड़पति लोगों का गाँव और कैसे करेगी आपकी जैकेट आपके स्मार्टफोन को चार्ज !! जाने

करोड़पति लोगों का गांव, यह है गुजरात के कच्छ जिले में। आखिर यह कैसे बना करोड़पति लोगों का गांव । जाने- इस गांव मे आप अगर घुसोगे तो दंग रह जावोगे। आपको विश्वास नही होगा कि  क्या मैं वाकई भारत  के एक गांव में खड़ा हुँ ! इस गांव की चमक-दमक देखते ही बनती हैं, सब-कुछ साफ सुधरा...। अच्छी सड़के।  गुजरात के कच्छ में स्थित यह गांव सबसे अलग हैं। क्योकि यहां पर सब करोड़पति हैं। इस गांव का नाम बल्दिया हैं, जो गुजरात का सबसे धनी गांव हैं। यहां बैंको में अरबो रूपय जमा हैं। चमक-दमक और समृद्धी के मामले में यह गांव बड़े-बड़े शहरो को भी पीछे छोड़ता हैं। इसका कारण यह हैं कि इसके ज्यादातर लोग विदेशो में हैं। पिछले दो सालो में यहां के बैकों में 1500 करोड़ रूपय और डाकघर में 500 करोड़ रूपय जमा हुए हैं। यह तो थी एक करोड़पति गांव की दास्तां, अब जाने  कैसे करेगा आपका जैकेट आपके स्मार्टफोन को चार्ज !! यह थोड़ा सुनने मे भले ही अजीब़ लगे कि आखिर भला जैकेट स्मार्टफोन को कैसे चार्ज करेगा ,लेकिन यह हकिकत है ! क्योकि अब 'स्नो-सी स्मार्ट जैकेट' आ गया हैं। जो आपके स्मार्टफोन को बिना

28 साल से बेघर इधर है ! सरकार का ध्यान किधर है ?

प्रधानमंत्री आवास योजना यहां बेघर लौगो पर काम क्यो नही कर रही है? क्या इन गरीबो को जिन्दगी भर बिना घर रहना ही नसीब है? न जाने भारत में कितने गरीब लौग इस तरह से बिना घर रहते होगें। जाने आगे- कहना कितना अच्छा लगता है राजनेताओ को कि " हम देश की जनता के सेवक हैं, मैं गरीबी से गुजरा हुँ ! मुझे मालूम है  गरीबी का कष्ट कितना दु:खदायी होता हैं।"         यह सब हमें भी नेताजी के श्रीमुख से सुनने पर काफी सुकुन दिलाता हैं। परन्तु क्या आपने कभी गौर किया हैं कि यह महान नेताजी जो प्रवचन ( भाषण में चुनावी वादे) सुना रहे हैं । उसमें वो कितना अमल करते हैं? यह गरीबों के हितो की बातें तो खुब अच्छे से करते हैं परन्तु क्या जमीनी स्तर पर इन्होने काम किया हैं? यह सवाल दिखने में काफी साधारण लग रहे हैं लेकिन जनाब ! इनके जवाब देने में नेताओं के कंपकंप छूट जाती हैं। मै यह आज इतने सवाल इसलिए कर रहा हुँ क्योकि जब हम कहीं बड़े शहर के बाहर इधर-उधर ताक-झाक करते है तो मैने जो उपरोक्त सवाल पूछे हैं , यह अपने आप आपके दिलों-दिमाक में आने शुरू हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ जब दक्षिणी दिल्ली