सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

यह कैसी उल्टी गंगा , महारानी का महाप्रकोप

मोदी जी ने कहा था कि न तो खाने दुगा ओर न खाउगा लेकिन मोदी  पार्टी की सरकार राजस्थान में एक नये बिल लाने की पेशकस के कारण बीजेपी निशाने पर है। क्योकी राजस्थान की मुख्यामंत्री वंसुधरा राजे के नये बिल में एसे नियम है की सरकार के बिना अनुमति के सरकारी कर्मचारियो के खिलाफ मुकदमा नहीं किया जा सकता है। सरकार इसके लाने फायदा यह बता रही है कि बिना वजह से सरकारी कर्मचारियो तंगी के शिकार न हो।
सोचने योग्य बात यह है की सरकारी नौकरशाहो से आम आदमी परेशान है ,न की आम आदमी उन्हे परेशान करते है।
तो फिर क्या औचित्य है सरकार का??? इस तरह के कानुन लाकर । यह वही उल्टी "गँगा बहाने वाली" बात हो गई ।
महारानी जी असल मे ही आप जाते समय  अपना महाप्रकोप दिखानेे चाहती हो तो, भ्रष्ट्र अफसरो के खिलाफ कार्यवाही करे, रोजगार के तोहफे दे दीजिएगा। ताकी हम जैसे युवा वर्ग भी खुश हो जायेगा।
लेकिन आप के इस कानुन के आने से तो भ्रष्ट्राचार करने को संरक्षण मिलेगा। वैसे भी 2005 की एक अन्तराष्ट्रीय संस्था ( भ्रष्ट्राचार पर निगरानी रखने वाली ) के अनुसार अपने देश का में 62℅ व्यक्तियो सरकारी कार्यो के दौरान नौकरशाहो को रिश्वत देनी पड़ती है। जो की निन्दनीय है। बेचारा व्यक्ति करे ही क्या ,जब बार बार चक्कर लगाने पड़े दफ्तरो के। लेकिन इसमें एक बात यह है कि कही न कही कुछ हद तक जिम्मेदार आम नागरिक भी है, जो ऱिश्वतखोरो की शौषण को चुपचाप मजबुर हो जाते है झेलने को और अपनी आवाज को बुलन्द नहीं करते है। परन्तु शिकायत करने का क्या फायदा ,जब शिकायत लेने वाले भी मलाई चाटने चाहते हो। कुल मिलाकर देखा जाये तो कही कही सरकारी सिस्टम में कमी है।
                  अब देखना यह होगा आगे क्या होता है,वैसे वसुन्धरा सरकार इस बिल को लेकर फुट-बैक पर आ गई है। क्योकी विपक्ष के साथ साथ पत्रकार भी इसका पुर जोर विरोध कर रहे है।
लागु होगा या न होगा वो तो अब समय बतायेगा।
---------

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राजनीति में पिसता हिंदू !

कांग्रेस की जयपुर रैली महंगाई पर थी, लेकिन राहुल गांधी ने बात हिंदू धर्म की. क्यों ? सब जानते है कि महंगाई इस वक्त ज्वलंत मुद्दा है. हर कोई परेशान है. इसलिए केंद्र की मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रव्यापी रैली के लिए राजस्थान को चुना. लेकिन बात जो होनी थी, वो हुई नहीं. जो नहीं होनी चाहिए थी, वो हुई. साफ है कि हिंदुस्तान की राजनीति में धर्म का चोली-दामन की तरह साथ नजर आ रहा है. भारतीय जनता पार्टी मुखर होकर हिंदू धर्म की बात करती है. अपने एजेंडे में हमेशा हिंदुत्व को रखती है. वहीं 12 दिसंबर को जयपुर में हुई कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली में राहुल के भाषण की शुरुआत ही हिंदुत्व से होती है. राहुल गांधी ने कहा कि गांधी हिंदू थे, गोडसे हिंदुत्ववादी थे. साथ ही खुलकर स्वीकर किय़ा वो हिंदू है लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं है. यानी कांग्रेस की इस रैली ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. बहस है- हिंदू बनाम हिंदुत्ववादी. इस रैली का मकसद, महंगाई से त्रस्त जनता को राहत दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना था. महंगाई हटाने को लेकर अलख जगाने का था. लेकिन राहुल गांधी के भाषण का केंद्र बिंदु हिंदू ही रह...

डिग्री के दिन लदे, अब तो स्किल्स दिखाओं और जॉब पाओ

  भारत में बेरोजगारी के सबसे बड़े कारणों में प्रमुख कारण कार्य क्षेत्र के मुताबिक युवाओं में स्किल्स का भी नहीं होना है। साफ है कि कौशल को बढ़ाने के लिए खुद युवाओं को आगे आना होगा। क्योंकि इसका कोई टॉनिक नहीं है, जिसकी खुराक लेने पर कार्य कुशलता बढ़ जाए। स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद युवाओं को लगता है कि कॉलेज के बाद सीधे हाथ में जॉब होगी। ऐसे भ्रम में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा हर दूसरा स्टूडेंट रहता है। आंखें तब खुलती है, जब कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद बेरोजगारों की भीड़ में वो स्वत :  शामिल हो जाते है। क्योंकि बिना स्किल्स के कॉर्पोरेट जगत में कोई इंटरव्यू तक के लिए नहीं बुलाता है, जॉब ऑफर करना तो बहुत दूर की बात है। इंडियन एजुकेशन सिस्टम की सबसे बड़ी कमी- सिर्फ पुरानी प्रणाली से खिसा-पीटा पढ़ाया जाता है। प्रेक्टिकल पर फोकस बिल्कुल भी नहीं या फिर ना के बराबर होता है। और जिस तरीके से अभ्यास कराया जाता है, उसमें स्टूडेंट्स की दिलचस्पी भी उतनी नहीं होती। नतीजन, कोर्स का अध्ययन के मायनें सिर्फ कागजी डिग्री लेने के तक ही सीमित रह जाते है।   बेरोजगारों की भी...

गरीब युवाओं से आह्वान: बड़ा करना है तो शिक्षा बड़ा हथियार

भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है, महात्मा गांधी के इस कथन का महत्व तब बढ़ जाता है. जब गांवों से टैलेंट बाहर निकलकर शहर के युवाओं को पछाड़ते हुए नए मुकाम हासिल करते है. ऐसी कहानियां उन लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन जाती, जो पैदा तो भले ही गरीबी में हुए हो. लेकिन हौसलों से आसमान छूना चाहते है. यब बातें सुनने जितनी अच्छी लगती है, करके दिखाने में उतनी ही कठिनाइयों को सामना करना पड़ता है. सपनों को हकीकत में बदलने के लिए जुनून, धैर्य और लगन जरूरी है.   (P. C. - Shutterstock)  सोचिए एक गरीब परिवार में जन्मे युवा किन-किन कठिनाइयों से गुजरता होगा. गरीबी में पैदा होना किसी की गलती नहीं है. गरीबी में पैदा हुए युवाओं को शिक्षा से वंचित नहीं होना चाहिए. शिक्षा ही वो सबसे बड़ा हथियार है. जिससे गरीबी रेखा को लांघकर समाज कल्याण का काम कर सकते है. परिवार को ऊपर उठा सकते है. दुनिया के सबसे बड़े अमीरों में शुमार बिल गेट्स का यह वक्तव्य किसी प्रेरणा से कम नहीं है. बिल गेट्स कहते है कि  '' अगर गरीब पैदा हुए तो आपकी गलती नहीं, लेकिन गरीब मरते हो तो आपकी गलती है'' भारत में करीब 32 ...