भारत में बेरोजगारी के सबसे बड़े कारणों में प्रमुख कारण कार्य क्षेत्र के मुताबिक युवाओं में स्किल्स का भी नहीं होना है। साफ है कि कौशल को बढ़ाने के लिए खुद युवाओं को आगे आना होगा। क्योंकि इसका कोई टॉनिक नहीं है, जिसकी खुराक लेने पर कार्य कुशलता बढ़ जाए। स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद युवाओं को लगता है कि कॉलेज के बाद सीधे हाथ में जॉब होगी। ऐसे भ्रम में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा हर दूसरा स्टूडेंट रहता है। आंखें तब खुलती है, जब कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद बेरोजगारों की भीड़ में वो स्वत : शामिल हो जाते है। क्योंकि बिना स्किल्स के कॉर्पोरेट जगत में कोई इंटरव्यू तक के लिए नहीं बुलाता है, जॉब ऑफर करना तो बहुत दूर की बात है। इंडियन एजुकेशन सिस्टम की सबसे बड़ी कमी- सिर्फ पुरानी प्रणाली से खिसा-पीटा पढ़ाया जाता है। प्रेक्टिकल पर फोकस बिल्कुल भी नहीं या फिर ना के बराबर होता है। और जिस तरीके से अभ्यास कराया जाता है, उसमें स्टूडेंट्स की दिलचस्पी भी उतनी नहीं होती। नतीजन, कोर्स का अध्ययन के मायनें सिर्फ कागजी डिग्री लेने के तक ही सीमित रह जाते है। बेरोजगारों की भीड़ को कम करने के लि
जिंदगी जीने का बहाना किसको नहीं चाहिेए. दिनभर की भागम-भाग के बीच हर कोई लाइफ में फुर्सत का पल खोजना चाहता है. जिसमें समा जाना चाहता है. जहां खुद को पा सके, महसूस कर सके, अपने आप को जान सके और हालात को देख सके. ये तभी संभव होगा, जब हम खुद के लिए वक्त निकालेंगे. P.C.- Internet जो अच्छा लगे उस पर ध्यान कीजिए. उम्मीद भऱी निगाहें आसमान पर डालिए. ऊंचाइयों को छूने का सपना देखिए. उसकी तस्वीर भी देख लिजिए, जो आपको सुकून देती हो. क्योंकि इतना निरस बनकर लाइफ को यूं ही निकालने का कोई मतलब नहीं है . जरा गौर किजिए, हम सब की मंजिल मौत है. ये ही दुनिया का सबसे बड़ा सच है. फिर हम क्यों इतने परेशान होते है ? जिस दिन आपने धरती पर पहला कदम रखा. उस वक्त आप क्या साथ लेकर आए. कुछ नहीं ना. फिर इतनी उदासी क्यों ? थोड़ा मुस्कराइए, गुलाब के फूलों की तरफ लाइफ में खुशी की महक लाइए. आप सोच रहे होंगे कि ये संभव कैसे है, जब आगे-पीछे इतनी परेशानी खड़ी हो. बताता हूं, ऐसे संभव है. देखिए, एक दिन हम सबकों इस दुनिया को अलविदा कहना है. कोई जल्दी जाएगा तो कोई बाद में. कौन कितना जिएगा पता नहीं है. लेकिन ये जरूर मालूम है कि